Tuesday, January 26, 2010

ज़िन्दगी का गीत

चलो चलो चलो चलो चले चलो
बहती इस धारा में बहे चलो
ज़िन्दगी की लहरों के साथ साथ
मदमस्ती में बस गाते चलो

चलते चलते सूरज को देखो
हौसला तुम उससे लेते चलो
लहराते हुए पेड़ों को देखो
बुलंदी तुम इनसे लेके चलो

देखो देखो देखो उन चिड़ियों को देखो
गाती हुई वोह उड़ती चली
कलकी फ़िक्र न करती हुई वोह
आज कि मस्ती में हंसती चली

आज का वक़्त जो हाथ में तेरे
कल तेरे हाथों में ना होगा
इसलिए आज को जी भर जी लो
कल का सवेरा कल होगा

आये हो अकेले जाओगे अकेले
हो जब तक तुम रिश्ते बनाओ
खुद को अकेले ना उलझाओ
रिश्तों में तुम खुशियाँ मनाओ

गाओ गाओ गाओ कोई गीत ऐसी गाओ
दुनिया जिसे सुन झूम उठे
सन्देश कोई तुम इसमें भेजो
पड़ जिसे सबकी रूह जाग उठे

-- शास्त्री वद्लामानी

3 comments:

SASTRY said...

You need to read with a particular speed to get the rhythm. Otherwise it may sound weird.

Do post your feedback.

Paras said...

Sastry Sirji Bahut badiya
Chale chalo chale chalo..:)
Aesi Kavitayen likhe chalo
Saath mein humare mann behlaye chalo..
Chale chalo chale chalo..:)

Prasanta said...

Goof one...