वो कॉलेज की बातें
याद आती हैं मुझे
वोह कैंपस की बातें
याद आती है मुझे
वोह ह्यारीस की शामें
चाय समोसे के संग
वोह एगिस की रातें
जहाँ बैठते थे हम सभी यार
गपशप करते थे घंटे तीन चार
वोह हीज्ली का पुल
जहाँ बैठ कर खाते थे चोप और पीते थे चाय
और देखते थे गुज़रती हुई रेल गाडी को
वोह सेंट्रल लाय्ब्ररी
जहाँ जाते थे पड़ने
और देखते थे लड़कियों को
वोह क्लासेस के बीच
कैंटीन जाना और चाय पीना
वोह ज़िंदगी जहाँ कोई चीन्ता ना थी
वोह शामें और वोह रातें
ना कभी भूल सकूंगा मैं
और वोह यार जिनके साथ
बीताये मैंने चार साल
अभी मुझसे हैं दूर
वोह चार साल मेरे
जिन्दगी के हसीं पल
कभी आये और कही चले गए
-- Sastry
Written sometime in 1999 I guess. Just after graduating and spending time in a small place alone far away from friends.
P.S: There are some inherent bugs in the hindi transliteration. Bug is evident with i kaar.
Friday, July 27, 2007
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