दिल कहना चाहता है कुछ
चुप चुप के खुद ही सुनता है
आस पास में कोई नहीं हो
हर पल यूं ही घबराता है
सोचना इसका काम है
बस यह सोचता रहता है
कभी अतीत में
तो कभी भविष्य में खो जाता है
चाहता आखिर क्या है
यह कह नहीं पाता
इसकी चाह बस यही है कि
कोई इसकी बात सुनले और समझले
वोह बात जो उसने कही नहीं
कहने से पहले ही घबरा गया
इसकी चाह बस यही है कि
कोई इसकी घबराहट समझले
चुप चुप के खुद ही सुनता है
आस पास में कोई नहीं हो
हर पल यूं ही घबराता है
सोचना इसका काम है
बस यह सोचता रहता है
कभी अतीत में
तो कभी भविष्य में खो जाता है
चाहता आखिर क्या है
यह कह नहीं पाता
इसकी चाह बस यही है कि
कोई इसकी बात सुनले और समझले
वोह बात जो उसने कही नहीं
कहने से पहले ही घबरा गया
इसकी चाह बस यही है कि
कोई इसकी घबराहट समझले
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